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भरोसा खुद पर रखो
तो ताकत बन जाती है
और दूसरों पर रखो तो
कमजोरी बन जाती है…!
आप कब सही थे...
इसे कोई याद नहीं रखता।
लेकिन आप कब गलत थे...
इसे सब याद रखते हैं।
''पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है"
"जिसको समस्या न हो"
"और"
"पृथ्वी पर कोई समस्या ऐसी नहीं है"
"जिसका कोई समाधान न हो...
मंजिल चाहें कितनी भी ऊँची क्यों न हो, रास्ते हमेशा पैरों के नीचे ही होते है।
*''आर्स वाजीद"*
तो ताकत बन जाती है
और दूसरों पर रखो तो
कमजोरी बन जाती है…!
आप कब सही थे...
इसे कोई याद नहीं रखता।
लेकिन आप कब गलत थे...
इसे सब याद रखते हैं।
''पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है"
"जिसको समस्या न हो"
"और"
"पृथ्वी पर कोई समस्या ऐसी नहीं है"
"जिसका कोई समाधान न हो...
मंजिल चाहें कितनी भी ऊँची क्यों न हो, रास्ते हमेशा पैरों के नीचे ही होते है।
*''आर्स वाजीद"*
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