रमजान ओर सफीर

हर साल रमजान में हम देखते है मौलवी मस्जिदों में चन्दा माँगने आते है अपना घर छोड़ के आते है सिर्फ अल्लाह के लिए लोगों कुछ तो सोचो कुछ तुम्हारा भी तो हक बनता है

ये कोम के रहबर बन्ने वाले ये जाहिल जुवा रियाकारी करने वाले मस्जिदों में साफ़िरो को मस्जिदों में ना सोने देने वाले याद रखना खुदा के घर जवाब देना भारी पड़ेगा और ये कॉम
जो चुप चाप देखती है और वो माँ बाप जो अपने बच्चों को रोकते ओर केते है तुम से बड़े लोग नही बोलते तुम भी चुप रहो इन के अमाल ये जाने केने वाले ये कान खोल के सुन ले किया समझते हो ऐसे सूरते हाल में बक्स दिए जाओगे खुदा की कसम अल्लाह ना करे अल्लाह ना करे जहानुम कि आग में फेंक दिए जाओगे

Sach ka Daai

याद रखना क़यामत के दिन हाय नफ़्सी हाय नफ़्सी का आलम होगा ना बाप काम आएगा ना बेटा काम आएगा ना माँ काम आएगी ना बेटी काम आएगी

आज इस कॉम के रहबर देख के आप स,व,स की हदीस का वो टुकड़ा याद आता है अनक़रीब हुक्मअरने हुकूमत ओर किताब अल्लाह एक दूसरे से अलग होजाएँगे ओर तुमरे ऊपर ऐसे लोग मुसल्लत होंगे जो तुमारे लिए कानून बनायेगे फैसले करेंगे और अगर तुम लोग इन की बात मने तो वो तुमें गुमराही के रास्ते पे डाल देंगे

आज देखलो मेरे कॉम के लोगों ये हमारे कॉम के सदर ओर ये मेंमबर हमे किस रास्ते पे लेके जा रहे हैं गोर करे

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