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निकाह दर हकीकत एक ऐसा ताल्लुक हैंजो औरत मर्द के दरम्यान एक पाक दामन रिश्ता हैं जो मरने के बाद भी ज़िन्दा रहता हैं बल्कि निकाह हैं ही इसलिये के लोगो के दरम्यान मोहब्बत कायम रह सके| जैसा के नबी सल्लललाहो अलेहे वसल्लम ने फ़रमाया-» हदीस : हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रज़ी अल्लाहु अनहु) से रिवायत हैं के रसूलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया– के‘आपस मे मोहब्बत रखने वालोँ के लिये निकाह जैसी कोई दूसरी चीज़ नहीदेखी गयी|’- (इब्ने माजा )» हदीसे नबवी से साबित हैं के निकाह औरत मर्द के साथ-साथ दरअसल दो खानदान का भी रिश्ता होता हैं जो निकाह के बाद कायम होता हैं| इसका अव्वल तो ये फ़ायदा होता हैं के अगर एक मर्द और औरत की निकाह से पहले मोहब्बत मे हो तो गुनाह के इमकान हैं लेकिन अगर उनका निकाह करदिया जाये तो गुनाह का इमकान नही रहता. दूसरे उनकी मोहब्बत हमेशा केलिये निकाह मे तबदील हो जाती हैं जो जायज़ हैं साथ ही दो अलग-अलग खानदान आपस मे एक-दूसरे से वाकिफ़ होते हैं और एक नया रिश्ता कायमहोता हैं|मोहब्बत के साथ-साथ निकाह नफ़्स इन्सानी के सुकुन का भी ज़रिय हैं जिससे इन्सान सुकुन और फ़ायदा हासिल करता हैं|अल्लाह कुरान मे फ़रमाता हैं-» अल-कुरान : और उसी की निशानियो मे से एक ये हैं की उसने तुम्हारे लिये तुम्ही मे से बीवीयाँ पैदा कीताकि तुम उनके साथ रहकर सुकून हासिल करे और तुम लोगो के दरम्यान प्यार और उलफ़त पैदा कर दी|इसमे शक नही गौर करने वालो के लिये यकिनन बहुत सी निशानिया हैं|- (सूरह रूम सूरह नं 30 आयत नं 21)
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